Sunday 19 July 2015

बाल साहित्य ऐसा हो जो बच्चों का बौद्धिक विकास करें

पराड़कर स्मृति भवन में ‘‘जनमाध्यम और बाल साहित्य’’ विषयक संगोष्ठी

वाराणसी, 14 अप्रैल, 2015। किसी भी देश का बाल साहित्य उसकी सांस्कृतिक प्रगति का एक अंग है। अतः बाल साहित्य ऐसा होना चाहिए जो हमारी संस्कृति की परम्पराएं सुरक्षित रख सकें। यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि बच्चों का बौद्धिक विकास अवरूद्ध न हो। अपने ही निष्कर्षों के आधार पर बच्चों को समझने की चेष्टा समाज में हो रही है। जो व्यक्ति बच्चों के स्वाभाविक चरित्र को मोड़ देने का प्रयत्न करता है, वह संसार का सबसे बड़ा गर्भ गिरा देने वाला है। स्तरीय बाल साहित्य के अभाव में हम अच्छे भविष्य की कल्पना नहीं कर सकते हैं। यह विचार आज साहित्यकारों ने पराड़कर स्मृति भवन में काशी पत्रकार संघ एवं वाराणसी प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में ‘जनमाध्यम और बाल साहित्य’ विषय संगोष्ठी में व्यक्त की।
बच्चों की प्रमुख पत्रिका ‘चंदा मामा’ के सम्पादक व तमिलनाडु साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री वाई॰ बाल शौरी रेड्डी का इस अवसर पर स्वागत भी किया गया। श्री रेड्डी ने कहा कि 20वीं शताब्दी में आते ही बाल साहित्य में विश्वव्यापी क्रांति आई। उसे नैतिक उपदेश देने वाली सीमा से बाहर निकाला गया और बच्चों के जीवन तथा मनोभावों को प्राथमिकता मिलने लगी। बच्चों को कल्पनालोक से निकाल कर जीवन के सत्य और मूल्यों को पहचानने के योग्य बनाने की जरूरत है। इस अवसर पर श्री रेड्डी की पुस्तकों का विमोचन भी हुआ।
प्रो॰ मारूति नन्दन तिवारी ने कहा कि मीडिया बच्चों को समय से पहले बड़ा कर दे रहा है। सरकारें भौतिकवादी विस्तार को बढ़ावा दे रही है। जबकि कल्पना का संसार ही बच्चों की पूंजी है। प्रो॰ गिरीशचन्द चैधरी का मत था कि बदले परिवेश और समाज के अनुरूप बच्चों को तैयार किया जाये। डा॰ जितेन्द्र नाथ मिश्र ने कहा कि उत्तम बाल साहित्य के गुणों से बच्चों में साहित्यक संस्कार पैदा होते हैं। स्वागत करते हुए संघ के अध्यक्ष बी॰ बी॰ यादव ने कहा कि सार्थक बाल साहित्य वही है जो बच्चों को सदमार्ग दिखाए। प्रेस क्लब के मंत्री जितेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि बाल साहित्य उस देश की सांस्कृतिक प्रगति का परिचायक है। विषय स्थापना एवं संचालन करते प्रेस क्लब के अध्यक्ष डा॰ अत्रि भारद्वाज ने कहा कि बाल साहित्य से ही परम्पराएं सुरक्षित रहती हैं। प्रो॰ विश्वास चन्द्र श्रीवास्तव, डा॰ रामसुधार सिंह, डा॰ श्रद्धानन्द, डा॰ राममोहन पाठक, डा॰ रतना शर्मा, पायल सोनी, डा॰ मंजरी पाण्डेय, डा॰ संगीता श्रीवास्तव, डा॰ अजय चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मीकांत द्विवेदी, डा॰ रामअवतार पाण्डेय, ने भी विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन क्लब की प्रबंध समिति के सदस्य अशोक सिंह ने किया। इस मौके पर डा॰ पीआर वासुदेवन, डा॰ जैकब बी, डा॰ राजलक्ष्मी, डा॰ कृष्णमूर्ति, सुनील शुक्ला, विमलेश चतुर्वेदी, हरिबाबू श्रीवास्तव, सहित अनेक साहित्यकार व पत्रकार उपस्थित रहे।
जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
मंत्री

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